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लोक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इस केन्द्र के उद्देश्य निम्न प्रकार है -

  • पारंपरिक उद्योगों को आधुनिक बनाना।
  • नियमित अध्ययन के साथ उद्यमिता विकसित करना।
  • प्रपत्र कक्षा से भारतीय विधाओं का ज्ञान प्रदान करना।
  • लोक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की दृष्टि से हिंदी माध्यम के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों को जोड़ना।
  • कर्म प्रधान व्यवस्था विकसित करना।
  • उत्पादन के प्रमाणीकरण हेतु व्यवस्था करना।
  • परंपरागत लोक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आधुनिक दृष्टि से स्थापित करना।
  • अभ्यासक्रम से इतरलोक में व्याप्त ज्ञान को आधार बनाकर आगे प्रशिक्षण देना।
  • लक्षित समूह के रूप में ग्रामीण व्यवसाय से जुड़े विद्यार्थियों (हिंदी भाषी) को उच्च उपाधि प्रदान करना।

केन्द्र के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित कार्य प्रस्तावित है -

  • प्रमुख ज्ञान परंपराओं का पाठ्यक्रम निर्माण उदाहरण के लिए कृषि, धातुकर्म, लकड़ी-बाँस, कपड़ों की छपाई, मिट्टी, वनस्पति/औषधि/कला/सिलाई/कढ़ाई/चर्मोद्योग/ राजगीरी आदि-आदि। इन विधाओं में छः माह, एक वर्ष एवं दो वर्ष के पाठ्यक्रम तैयार करना।
  • उपरोक्त विधाओं में पूर्व प्रशिक्षित कारीगरों को मूल काम पर प्रशिक्षण देकर ग्रेडिंग/मान्यता देना।
  • हिंदी माध्यम से संचालित विद्यालयों/महाविद्यालयों में कार्यशील शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।
  • उपरोक्त विधाओं में रोजगार प्रदान करने वाले अभिकरणों के साथ समझौता-पत्र हस्ताक्षर करके व्यवसाय दिलवाना।
  • उपरोक्त विधाओं में छात्र को उस विद्या से संबंधित बैंकिंग, सरकारी नीतियों एवं विपणन विधियों की जानकारी देना।
  • ग्रामीण उद्योगों से संबंधित नव उभरती प्रवृत्तियों के साथ विद्यार्थियों को परिचित कराकर ग्रामीण उद्यमिता विकसित करना। (गोबर-गैस, सौर ऊर्जा, ईंट निर्माण आदि-आदि)
  • उपरोक्त विधाओं पर जहाँ कार्य चल रहे हैं, का भ्रमण करना एवं मूल्यांकन करना।

विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में जैविक कृषि, गो-सम्पदा प्रबंधन, जूट, काष्ठ निर्माण कला से संबंधित पाठ्यक्रम निर्मित किये।

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