प्राच्य विद्या संकाय
इस संकाय के अंतर्गत पाण्डुलिपि संरक्षण, संधारण, भाषांतरण आदि वैज्ञानिक तकनीकों पर आधारित शिक्षा देने की योजना है जिससे संग्रहालयों और पुरातत्व महत्व के अभिलेखों को व्यवस्थित करने लिए कुशल कर्मचारी और तकनीशियन तैयार हो सकें । भविष्य में स्नातक प्रतिष्ठा (ऑनर्स) स्नातकोत्तर, प्रमाण-पत्र, पत्रोपाधि, एम.फिल एवं शोध आदि पाठ्यक्रम संचालित होंगे। विश्वविद्यालय से किसी भी पाठ्यक्रम को पूर्ण करने वाले छात्र को भाषा, संगणक, योग, समाज सेवा एवं भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाएगा । विश्वविद्यालय स्नातक से लेकर शोध के स्तर तक के विभिन्न समसामायिक एवं भारतीय ज्ञान-विज्ञान को प्रदर्शित करने वाले पाठ्यक्रमों को भी इस संकाय के अंतर्गत समाहित करेगा ।