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भारत विद्या अध्ययन एवं अनुसंधान

यह हिंदी विश्वविद्यालय के प्रमुख केन्द्रों में से एक है जिससे भारतीय संस्कृति, शिक्षा एवं उसके ज्ञान-विज्ञान का विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार संभव है। इस केन्द्र के निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

  • भारत विद्या को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से जोड़ना।
  • विश्व ज्ञान परम्परा को भारत विद्या की देन को चिन्हित करना।
  • विश्व के वैज्ञानिकों द्वारा भारत विद्या से लिए गए स्रोतों की चर्चा करना।
  • स्रोत संबंधी जानकारियां भारत विद्या के सभी अनुशासनों के साथ पृथक-पृथक देखना।
  • भारतीय ज्ञान परम्परा पर हुए कार्यों का संकलन करना।
  • प्राचीन भारत की ज्ञानात्मक स्तर पर शेष विश्व के साथ अन्तःक्रिया तथा अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करना।
  • विभिन्न समयों पर हुए परस्पर संवादों और तद्जन्य निष्कर्षों का संकलन करना।
  • अन्य वर्चस्वमूलक सभ्यताओं द्वारा समय-समय पर प्रचारित भारत के संबंध में पूर्वाग्रहों का निरसन करना।
  • भारतीय दर्शन एवं विज्ञान में समानता खोजना।
  • विज्ञान एवं अध्यात्म की पारस्परिकता के मूलबिंदुओं की खोज करना।
  • आधुनिक भारतीय दार्शनिक-आध्यात्मिक सृजनशीलता पर शोध करना।
  • भारतीय साहित्य, भाषा, कला, शिक्षा, दर्शन, इतिहास, अर्थशास्त्र, समाज विज्ञान एवं ज्ञानानुशासनों की विश्व को देन की जानकारी कर अध्ययन व शोध को बढ़ावा देना।
  • वैदिक भाषा परम्परा में निरंतर हुए चिन्तन के आलोक में आगत संदर्भों की खोज और उनका आधुनिक समकालीन चिन्तन से तुलना करना।
  • वैदिक वाङ्मय पर हुए अद्यतन (भारतीय/पाश्चात्य) अध्ययनों का अनुशीलन करना।
  • भारत एवं पश्चिम के समकालीन वैज्ञानिक दार्शनिक चिन्तकों के कार्यों का अनुशीलन करना।
  • भारत विद्या से सम्बद्ध सभी उपलब्ध सामग्री का संचयन करना।
  • भारतीय गोत्र परम्परा के उद्भव एवं विकास का अध्ययन करना।

इस केन्द्र में चार परिसर होंगे जिनमें अग्रलिखित विषयों का अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान की व्यवस्था की जाएगी।

ऋक् परिसर :

इस परिसर में पत्रोपाधि से स्नातकोत्तर उपाधि एवं अनुसंधान कार्य तक भारत विद्या अध्ययन की शिक्षा-सुविधा होगी।

  • वैदिक वाङ्मय में संहिताएं, ब्राह्मणग्रंथ, उपनिषदों आदि से लेकर सभी दर्शन, वेदांग एवं महाकाव्य।
  • इसी क्रम में संतकालीन साहित्य से लेकर आधुनिक काल के सभी दार्शनिकों और चिन्तकों का अध्ययन।

यजुष् परिसर :

  • सामाजिक विकास की पुरानी और आधुनिक नीतियों का प्रामाणिक अध्ययन।
  • आधुनिक काल में जनसंख्या, शिक्षा, समाज, वन, कृषि, पर्यावरण, उद्योग और सुरक्षा नीतियों का अध्ययन एवं नई नीतियों का निर्माण।

साम् परिसर :

  • भारतीय कलाएं (संगीतकला, नृत्य, नाट्य, चित्रकला, लोककला)
  • कौशल कलाएं (स्थापत्य, मूर्तिकला, पाककला, छपाई, काष्ठशिल्प कला इत्यादि)

अथर्व परिसर :

  • भारत की सभी भाषाओं और लोक भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन।
  • भारत की सभी भाषाओं के साहित्य, संस्कृति और इतिहास का अध्ययन।
  • भारत में प्रथम मनुष्य के आगमन से आजतक मानवीय विविधता का अध्ययन और भारतीय भूगोल से अन्य देशों में मनुष्य के प्रसार का अध्ययन।

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