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सप्तम स्थापना दिवस समारोह

सप्तम स्थापना दिवस समारोह 26 दिसम्बर 2017

 

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल

                                                                                                                                                                                                              

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस 26 दिसंबर 2017 को मनाया गया। इस मौके पर कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके अलावा कविता पाठ, लेखन, पोस्टर, चित्रकला, रंगोली, संगीत के साथ ही भारतीय ज्ञान संपदा, समसामयिक वैश्विक समस्याओं के समाधान विषय पर एक सारगर्भित संगोष्ठी भी आयोजित की गई।
विश्वविद्यालय ने अपने नाम को अनुरूपता को स्थापना दिवस पर हुए कार्यक्रम में साकार करने का कार्य किया। तात्पर्य यह कि भारतीय संस्कृति में किसी भी नाम का मतलब बिना अर्थ के नहीं होता। नाम के पीछे कुछ ऐसा छुपा रहता है जो उसकी सार्थकता को प्रमाणित करता है। विश्वविद्यालय ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को सार्थक करने का पूरा-पूरा प्रयास किया है। यह बात प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कही। श्री नंदकुमार ने इस मौके पर अपने उद््बोधन में कहा- भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के पीछे बहुत बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि अटल जी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ  में विदेश मंत्री रहते हुए हिन्दी में भाषण देकर इस भाषा को और सरल एवं व्यापक बनाया। इसलिए विश्वविद्यालय का नाम अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय होना इसके नाम को सार्थक करता है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान की भूमि है, यहां ज्ञान को परम स्थान पर रखा गया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में भारतीय मनीषियों और ऋषि परम्परा के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन के हितार्थ जितने भी साधन हैं, वे भारतीय ज्ञान परम्परा में ही मिलते हैं। सम्पूर्ण विश्व को भारतीय परम्परा ने जो दिया है उस पर चिंतन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान भारत की संस्कृति और सभ्यता में छुपा हुआ है।    कार्यक्रम में उपस्थित उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बी.आर. नायडू ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे हिन्दी माध्यम के पाठ्यक्रमों को लेकर उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अभी और प्रयास किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक बोली जाने वाली हिन्दी भाषा को लेकर विश्वविद्यालय ने बीते सात सालों में जो भी कदम उठाए हैं वह सराहनीय हैं पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। इस मौके पर विश्वविद्यालय प्रांगण में बनाई गई नक्षत्र वाटिका का पूजन कर सभी आमंत्रित सम्माननीय अतिथियों ने उदघाटन किया।
भारतीय संस्कृति में किसी भी नाम का मतलब बिना अर्थ के नहीं होता। उसके पीछे कुछ ना कुछ ऐसा छुपा होता है जिससे उस नाम की सार्थकता परिलक्षित होती है, यही हमारे ज्ञान को दर्शाता है। यह कहना है प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार का। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जे. नंदकुमार ने भारतीय संस्कृति, वेदों और उससे उपजे विज्ञान के विषय में उद्बोधन दिया। भारतीय ज्ञान संपदा: समसामायिक वैश्विक समस्याओं का समाधान पर बोलते हुए उन्होंने यह बात कही। श्री जे. नंदकुमार ने अपने उद्बोधन में हिंदी विश्वविद्यालय का नाम अटल जी के नाम से रखने को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अटल जी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में विदेश मंत्री रहते हुए हिंदी में भाषण देकर इस भाषा को और समृद्ध बनाया था। इसलिए विश्वविद्यालय का नाम अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय होना इसके नाम को सार्थक करता है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान की भूमि है, जहां ज्ञान को परम स्थान है। हिंदी विश्वविद्यालय को यह नाम देना राजनीतिक नहीं बल्कि यह ज्ञान की सोच है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज ने भी अपने उद्बोधन में भारतीय मनीषियों और ऋषि परंपरा के बारे में विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने विषय प्रवर्तन की जानकारी देते हुए कहा कि जीवन के हितार्थ जितने भी साधन है वे भारतीय ज्ञान परंपरा में ही मिलते हैं। संपूर्ण विश्व को भारतीय परंपरा ने जो दिया है उस पर चिंतन आवश्यक है। सभी समस्याओं का समाधान भारत की संस्कृति और सभ्यता में छुपा हुआ है।
हिंदी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रमोद के. वर्मा, भोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविन्द्र कान्हरे, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. अखिलेश पाण्डे सहित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक, कैलाशचंद्र पंत के अलावा कई गणमान्य नागरिक और विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी, अधिकारी, शिक्षकगण और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

 

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